रविवार, 24 अप्रैल 2011

देवी सरस्वती का पूजन – संकल्प, ध्यान मंत्र एवं विधि


Basant Panchami Pujan Vidhi – Sankalp, Dhyaan Mantra & Stuti

माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथिको प्रात:काल में सरस्वती देवी की पूजा करनी चाहिए घट (कलश) की स्थापना कर के उसमे वाग्देवी का आवाहन करे तथा विधि पूर्वक देवी सरस्वती की पूजा करे सर्व-पर्थम आचमन , प्राणायामआदि द्वारा अपनी बह्याभ्यंतर शुचिता सम्पन्न करे फिर सरस्वती पूजन का संकल्प ग्रहण करे


संकल्प

यथोपलब्धपूजनसामग्रीभिः भगवत्या: सरस्वत्या: पूजनमहं करिष्ये

तत्पश्चात श्रीगणेश की आदिपूजा करके कलश स्थापित कर उसमे देवी सरस्वतीका सादर आवाहन करके वैदिक या पौराणिक मंत्रो का उचारण करते उपचार -सामग्रियां भगवती को सादर समर्पित करे

वेदोक्त अष्टाक्षरयुक्त मंत्र सरस्वतीका मूलमंत्र है

श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा

इस अष्टाक्षर-मंत्र से पूजन सामग्री समर्पित करते हुए देवी की आरती करके स्तुति करे

मां सरस्वती की आराधना करने के लिए श्लोक है-

सरस्वती शुक्ल वर्णासस्मितांसुमनोहराम।

कोटिचन्द्रप्रभामुष्टश्री युक्त विग्रहाम।

वह्निशुद्धांशुकाधानांवीणा पुस्तक धारिणीम्।

रत्नसारेन्द्रनिर्माण नव भूषण भूषिताम।

सुपूजितांसुरगणैब्रह्म विष्णु शिवादिभि:।

वन्दे भक्त्यावन्दितांचमुनीन्द्रमनुमानवै:।
- (देवीभागवत )

Aum Jai Saraswati Mata – Aarti of Goddess Sarasvati Devi


सत्वगुण से उत्पन्न होने के कारण इनकी पूजा में प्रयुक्त होने वाली सामग्रियों में अधिकांश श्वेत वर्ण की होती हैं। जैसे- श्वेत चंदन, पुष्प, परिधान, दही-मक्खन, धान का लावा, सफेद तिल का लड्डू, अदरक, श्वेत धान, अक्षत, शुक्ल मोदक, घृत, नारियल और इसका जल, श्रीफल, बदरीफल आदि।

देवी सरस्वती की प्रसिद्ध ‘द्वादश नामावली’ का पाठ करने पर भगवती प्रसन्न होती हैं-


प्रथमं भारती नाम द्वितीयं च सरस्वती।

तृतीयं शारदा देवी चतुर्थ हंस वाहिनी।।

पञ्चम जगतीख्याता षष्ठं वागीश्वरी तथा।

सप्तमं कुमुदी प्रोक्ता अष्टमें ब्रह्मचारिणी।।

नवमं बुद्धिदात्री च दशमं वरदायिनी।

एकादशं चन्द्रकान्ति द्वादशं भुवनेश्वरी।।

द्वादशैतानि नामानी त्रिसंध्यं यः पठेन्नरः।

जिह्वाग्रे वसते नित्यं ब्रह्मरूपा सरस्वती ।।

तुलसीदास ने सबका मंगल करने वाली देवी को वाणी कहा है। वे देवी गंगा और सरस्वती को एक समान मानते हैं-

पुनि बंदउंसारद सुर सरिता। जुगल पुनीत मनोहर चरिता।

भज्जन पान पाप हर एका। कहत सुनत एक हर अविवेका।

Jai Ma Saraswati

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